क्या आपको कभी किसी अनजान व्यक्ति या संस्थान का फोन आया था और आप आश्चर्यचकित हो रहे थे की आखिर किसी तीसरे अजनबी व्यक्ति को आपके मोबाइल नम्बर के बारे में कैसे जानकारी हुई ,आप इसके पहले इस बात पर थोड़ा और विचार करते उसके पहले ही आप किसी और कार्य में संलिप्त हो जाते हैं ये सोचते हुए कि चलो जाने दो होगा कोई, और वैसे भी मेरा कोई क्या कर लेगा।यदि आप ये सोच रहे हैं कि यह सब हमारे लिए नहीं है तो ठहरिये मेरे दोस्त ये ब्लॉग आपके लिए ही है ।तो चलिए दोस्तो आज हम जानते हैं कि हमारा अपना फोन नंबर किसी तीसरे के पास कैसे पहुँचता है और क्या वाकई में इससे हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता भी है या नहीं ।
किसी तीसरे अजनबी व्यक्ति तक अपना फोन नंबर पहुंचाने में सबसे ज्यादा भागीदार हम स्वयं होते हैं, ना की कोई चौकीदार । हम स्वयं भागीदार किस प्रकार से हैं चलिए पहले ये देख लेते हैं।
नया साल आरंभ होने वाला है और इस मौके पर आपको वाट्सएप पर विभिन्न प्रकार के emoji , wishing gifs और भी तमाम प्रकार के शुभकामना भरे संदेश प्राप्त होंगे और आप भी अपने सगे संबंधियों को भेजेंगे ।इन्ही संदेशों में अलग-अलग माध्यमों से डेटा सेंटर पर बैठे हुए कुछ चोर हमारे जरिये कभी ससक्राइब कराने के बहाने तो कभी पैसों का लालच देते हैं तो कभी किसी लुभावनी स्कीम को पाने के लिए रजिस्टर करनें को बोलते हैं और हम ठीक उनके अनुरूप कर भी देते हैं।
हम डेटा चोरी को समझते है इस उदाहरण के साथ | व्हाट्सएप पे कुछ दिनों से एक मैसेज चल रहा है की जल्दी से प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के लिए अपना नाम रजिस्टर करे ,आप इस मैसेज को नीचे देख सकते हैं |
जब हमने ऊपर दी गयी लिंक को खोला तो जल्दी से जल्दी रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहा जा रहा था |
हमने जब भारत सरकार के द्वारा चलाई जा रही वेबसाइट पर आयुष्मान योजना के बारे में पता किया तो सच्चाई कुछ और ही थी |
जब हमने उस लिंक का I.P. एड्रेस पता किया तो वह बिहार से ऑपरेट हो रही थी |
देखा आपने किस प्रकार से हमारी निजता के साथ खिलवाड़ हो रहा है |हमारे देश में लोकसभा चुनाव भी नजदीक है तो आपके पास अलग-अलग पार्टीयों से फोन और मेसेज भी आयेंगे और यह सब संभव होता है इन डेटा चोरों के द्वारा। क्या कहते हैं एपल के सीईओ टिम कुक फेसबुक के द्वारा हुए डेटा चोरी पर:-
1) “फेसबुक की डेटा कलेक्शन तकनीकें खराब हैं, जिसमें यूजर्स से बहुत सारी पर्सनल जानकारियां ली जाती हैं और उनको जमाकर एडवर्टाइजर्स को बेचा जाता है।”
2) “अगर हम भी अपने कंस्टमर्स की जानकारियों को ऐसे भुनाने लगें तो काफी पैसा कमा सकते हैं, लेकिन हम ऐसा कभी नहीं करेंगे।”
3) “अगर हमारे कस्टमर्स ही हमारे प्रॉडक्ट होते तो भी हम उनके बारे में कुछ भी बेचना पसंद नहीं करते।”
4) “हम लोगों की पर्सनल लाइफ में दखल देने की जरा भी कोशिश नहीं करते। प्राइवेसी हमारे लिए एक मानव अधिकार है, एक तरह से नागरिक स्वतंत्रता है और हम इसका सम्मान करते हैं।”
5) “फेसबुक ने जितनी यूजर्स प्रोफाइल जमा कर रखी हैं उन्हें वजूद में नहीं होना चाहिए। ऐसी प्रोफाइल्स का एडवर्टाइजर्स दुरुपयोग कर सकते हैं और ये हमारे लोकतंत्र के लिए भी खतरा हो सकती है।”
6) “फेसबुक जैसे डेटा स्कैंडल को रोकने के लिए कानून (रैगुलेशन) होना चाहिए। हालांकि, सबसे अच्छा रैगुलेशन सेल्फ रेगुलेशन ही होगा।”
यह हाल है जब विश्व की बड़ी बड़ी कंपनियों का तो औरों का क्या हाल होगा यह तो आप समझ ही सकते हैं ।
डेटा चोरी करके ये एडवर्टाइजर्स हमारा ब्रेनवाश करते हैं और हमारे साइकोलाजि को भी प्रभावित करते हैं ।एडवरटाइज कैसे किया जाता है यह जानने के लिए आप निचे कमेन्ट बॉक्स में दिए गए लिंक पर जा कर पढ सकते हैं ।
भारत सरकार डेटा चोरी को लेकर उतनी सजग नजर नहीं आती हालांकि भारत सरकार ने कुछ कदम जरूर उठाये हैं पर वह ऊँट के मुंह में जीरे वाली बात के बराबर है ।हम डेटा चोरी को किसी प्रकार से पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकती इसलिए जरूरी है कि हम अपने डेटा का सही से इस्तेमाल करें और उसको संभाल कर रखें ना की किसी तीसरे अनजान व्यक्ति के साथ साझा करें।
हम अपने आप को सुरक्षित रखने के साथ साथ और भी लोगों की मदद कर सकते हैं सिर्फ थोड़ा सा सजगता एवं बुद्धिमत्ता के साथ ,क्योकि यदि हम अपने वाट्सएप ग्रुप पर किसी भी प्रकार की डेटा चोरी संबंधित लिंको को शेयर ना करे तो न जाने कितने लोगों की हम मदद कर सकते हैं ।
Url for knowing more on psychology of advertisements –
https://www.google.com/url?sa=i&source=undefined&cd=&ved=0ahUKEwiaq5i-ksjfAhUegUsFHdXbAp0QzPwBCAM&url=https%3A%2F%2Fwww.psychologytoday.com%2Fus%2Fblog%2Fulterior-motives%2F201008%2Fwhat-does-advertising-do&psig=AOvVaw3bO2lHRmshkuuUc2KaF8N2&ust=1546279588971873
LikeLike